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चुप्प सी लड़की

shephalikauvach.blogspot.com
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आज बहुत डूबी उतराई थी मैं
अपने अंदर बहुत अंदर उतर आयी थी मैं,
आज देखा था खुद में डूब कर खुद को मैंने,
अपनी सूरत में सदियों से दबी चुप्प सी लड़की नज़र आई थी मुझे,
उसकी आँखों में नशा था, खुमारी भी थी,
जीनते जीस्त की रवानी भी नज़र आयी थी मुझे,
मैनी देखा था उसके होठों पे गुलाबों की हंसी थी,
दिल में पाकीज़गी की सहर भी नज़र आयी थी मुझे,
मगर यह क्या?
उसके हाथों में इन्कलाब की ताक़त थी मगर,
सर से पाँव तक वो आंसुओं में नहाई भी थी,
उसके थिरकते पैरों में इक बाप की जंजीरें थी,
जिसकी इक छोर उसके खाविंद के हाथों में नज़र आई थी मुझे,
मैंने बारीक से देखा था दो ओर घिसटते उसको,
पर ऐ खुदा! उसके छलनी जिस्म में उसकी खुश्नुमाई भी थी,
देखकर यकायक सिहर गई थी में तब,
कतरा कतरा होके खुद में बिखर गई थी में तब,
जब उसका चेहरा घुल गया था मेरे चेहरे में कहीं,
और वो समंदर……
जिसमें कहीं गहरे उतर आई थी मैं,
मेरे अपने ही आंसुओं का ही सैलाब था,
जिसमें सदियों से डूबती आई थी मैं………..

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